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कविता

अँधेरा

सुमित पी.वी.


 
मैं तुम्हें दूँगा
मेरी जिंदगी
मेरा अपना
सब कुछ
बस तुम्हें मेरी
मदद करनी होगी
इस अँधेरे को पार करने में!

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